चतुर्थांश कुंडली
चतुर्थांश कुंडली लग्न कुंडली के चोथे भाव का पूर्ण विस्तृत रूप होती है।इस कुंडली का विचार जातक की संपत्ति, मकान, वाहन, माँ सुख, चरित्र आदि के लिए होता है।मंगल मकान, संपत्ति, चंद्र माँ, शुक्र वाहन का कारक होता है।क्योंकि चतुर्थांश कुंडली से कई विषयो जैसे मकान, माँ, वाहन आदि का विचार किया जाता है जिनके कारक ग्रह भी अलग होते है जिनके बारे में ऊपर लिखा गया है।कारक ग्रहो भाव, भावेश के चतुर्थांश कुंडली में बली और शुभ प्रभाव में होने पर यह सुख जातक को प्राप्त होते है।। चतुर्थांश कुंडली का लग्न, लग्नेश बलवान होने से सुख स्थाई रहता है।चतुर्थांश के लग्न, लग्नेश, चोथे भाव, भावेश कारक चंद्र की शुभ स्थिति माँ सुख में वृद्धि करती है।लग्न, लग्नेश, चतुर्थ भाव भावेश और मंगल की बली केंद्र त्रिकोण में शुभ स्थिति संपत्ति, मकान सुख देने वाली होती है इसी तरह लग्न, लग्नेश चोथे भाव, भावेश और शुक्र का शुभ बलवान होना वाहन सुख में वृद्धि करने वाला होता है।लग्न कुंडली का चतुर्थेश चतुर्थांश कुंडली में शुभ ग्रहो के साथ, बली शुभ होने पर स्थिति ज्यादा शुभ हो जाती है।इसी तरह लग्न कुंडली के लग्नेश और चतुर्थांश के लग्नेश आपस में मित्र होने से सुखो में स्थायित्व स्थित देते है।चतुर्थांश के लग्न पर गुरु शुक्र की दृष्टि आर्थिक रूप से शुभ फल देती है।इसके आलावा चतुर्थांश का विचार जातक के भाग्य के सम्बन्ध में भी किया जाता है।चतुर्थांश में नवम भाव, भावेश का बली होकर केंद्र त्रिकोण भावो में बैठकर शुभ ग्रहो से द्रष्ट होना जातक को भाग्यशाली बनाता है जातक वाहन, माँ सुख, संपत्ति सुख आदि के सम्बन्ध में भाग्यशाली होता है।चतुर्थांश में नवम भाव, भावेश का बलवान होना जातक को कई तरह से भाग्यशाली बनाता है।
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